पशु आनुवंशिक संसाधन प्रभाग
यह डिवीजन नस्ल विशेषताओं, सर्वेक्षण रणनीतियों और नस्ल के वर्णन के तरीको के लिए प्रारूपों के विकास में लगा हुआ है। पशुधन सूचना और प्रबंधन अनुभाग ने समयानुसार कंप्यूटरों, उनके कार्यों और पशु आंकड़ा प्रबंधन में इस्तेमाल के लिए इनकी मांग की पूर्ति की। जैसाकि बाद में अनुभव किया गया की इन दो डिवीजनों का कामकाज मानार्थ था। इसलिए वर्ष 1987 के दौरान दोनों अनुभागों में अपर्याप्त स्टाफ के कारण एक इकाई के रूप में कार्य किया। कायापलट वर्ष 1987 के दौरान हुआ जब दो डिवीजनों पशु आनुवंशिक संसाधन और पशु संरक्षण का पशु आनुवंशिक संसाधन और संरक्षण अनुभाग के रूप में विलय कर दिया गया। वर्ष 1991 के दौरान एक नया अनुभाग पशु जीन बैंक के रूप में बनाया गया। वर्ष 1991-92 के दौरान, पशु जीन बैंक अनुभाग पशु शरीर क्रिया विज्ञान और प्रजनन अनुभाग के रूप में पुन्र गठित किया गया । पुनर्गठन 1991-92 के दौरान चलता रहा जब ब्यूरो में एक अनुभाग और दो इकाइयां थी,:
(i) पशुधन सूचना और प्रबंधन अनुभाग
(ii) पशु आनुवंशिकी संसाधन
(iii) पशु संरक्षण और जीन बैंक।
वर्ष 1994-95 के दौरान अनुभाग और इकाइयों का पुन्र गठन फिर से किया गया :
(i) पशुधन सूचना प्रबंधन इकाई/कम्प्यूटर यूनिट
(ii) पशु आनुवंशिक संसाधन और संरक्षण अनुभाग
(iii) पशु शरीर क्रिया विज्ञान और प्रजनन अनुभाग।
1996 के दौरान पशु शरीर क्रिया विज्ञान और प्रजनन अनुभाग का पशु आनुवंशिक संसाधन और संरक्षण अनुभाग में विलय कर दिया गया। वर्ष 1997 में फिर से पशु आनुवंशिक संसाधन विभाग के रूप में नामकरण कर दिया गया।
वर्तमान में पशु आनुवंशिक संसाधन विभाग प्ररूपी लक्षण, सतत उपयोग और स्वदेशी पशुधन और कुक्कुट नस्लों के संरक्षण में लगा है। प्ररूपी लक्षण वर्णन किसानों की सामाजिक/आर्थिक स्थिति के मुल्यांकन, भेड़-बकरी/झुंड संरचना, जनसंख्या की स्थिति, चारा प्रबंधन के तरीकों, प्ररूपी विशेषताओं, शरीर जीवमिति और उत्पादन प्रदर्शन, प्रजनन और विपणन का आंकलन करने के लिए व्यवस्थित/पायलट क्षेत्र सर्वेक्षणों के माध्यम से पूरा किया जाता हैl स्थानीय नस्लों के उत्पादन के प्रदर्शन का मूल्यांकन उनके मूल स्थान के कृषि जलवायु के तहत दर्ज किया जाता है। सर्वेक्षण की गई नस्लों/आबादी को अनुसंधान प्रकाशनों के अलावा नस्ल मोनोग्राफ, नस्ल विवरणिका और चार्ट के रूप में दस्तावेज किया गया है। सूचना के आधार पर नई रणनीति को किसानों की आवश्यकताओं के अनुसार सुधार और नस्लों के संरक्षण के लिए बनाया गया है। इन-सीटू संरक्षण विभिन्न पशुधन प्रजातियों की नस्लों के लिए लागू किया गया है। इसके अलावा, यह विभाग जीवद्रव्य का लंबी अवधि के लिए एक्स-सीटू संरक्षण के अग्रणी क्षेत्र में काम कर रहा है।
राष्ट्रीय जीन बैंक
ब्यूरो में राष्ट्रीय पशु जीनबैंक देशी पशुधन जैव विविधता के संरक्षण के उद्देश्य से स्थापित किया गया है। अब तक गाय, भैंस, भेड़, बकरी, ऊंट, याक, और घोड़े आदि 44 महत्वपूर्ण नस्लों के 311 प्रजनन प्रजनक नरों (सांड /नर भेड़ /बकरा /अश्व )के एक लाख उनन्तीस हजार एक सौ चौहत्तर (1,29,174) प्रशीतित वीर्य अंशो को भावी संतति हेतु ब्यूरो के राष्ट्रीय जीन बैंक में संग्रहित करके संरक्षित किया गया है ।
प्रजाति और नस्लों का विवरण जिनका वीर्य राष्ट्रीय जीन बैंक में सरंक्षित है
गाय | भैंस | बकरी | भेड़ | घोड़े | याक | ऊंट |
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अमृतमहल | असामीज स्वम् | ब्लैक बंगाल | गैरोल | मारवाड़ी | अरूणाचली | जैसलमेरी |
डांगी | बन्नी | चेगु | ज़ांस्करी | |||
गंगातीरी | भदावरी | ओस्मानाबादी | पोइटो | |||
गिर | जाफ़राबादी | असाम हिल | ||||
हाल्लीकर | मुर्राह | |||||
हरियाना | नीली रावी | |||||
कांग़यम | पंधरपुरी | |||||
कांकरेज | सुरती | |||||
खेरीगढ़ | तराई | |||||
खिल्लार | मेहसाना | |||||
कृष्णा वैली | तोडा | |||||
ओंगोल | नागपुरी | |||||
पोवार | ||||||
पुन्गानुर | ||||||
राठी | ||||||
रेड कंधारी | ||||||
रेड सिन्धी | ||||||
साहीवाल | ||||||
थारपाकर | ||||||
वेचुर | ||||||
फ्रिएस्वाल | ||||||
गोलाओ |
कुल योग | |
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प्रजाति | 7 |
नस्लें | 44 |
मेल्स | 311 |
वीर्य मात्रा | 1,29,174 |