पशु जैव तकनीकी विभाग
पशु जैव तकनीकी विभाग का अस्तित्व दिनांक 16-01-2014 को परिषद् के आदेशों के अनुसार डी.एन.ए. फिंगरप्रिंटिंग के आद्योपान्त हुआl वर्तमान में विभाग में सात वैज्ञानिकों के सहायतार्थ चार तकनीकी कर्मचारी संसथान को प्राप्त अधिदेशों के अनुसार विभिन्न गतिविधियों में संलग्न हैंl विभिन्न पशु प्रजातियों के आनुवंशिक लक्षण निर्धारण कार्य के अतिरिक्त मुख्य बल, जीन की पहचान और मुल्यांकन हेतु जीनोमिक उपकरणों के उपयोग और अनुकूलन, रोग प्रतिरोधक तथा विभिन्न उत्पादन सम्बन्धी गुणों की ट्रांसक्रिप्शन पर, दिया जा रहा हैl
संस्थान की परियोजनाओं के अतिरिक्त विभाग में एक राष्ट्रीय फेलो परियोजना “देसी गायों और भैंसों में विविध पर्यावरणों के प्रति अनुकूलता और ऊष्मा सहिष्णुता का आणविक आधार जानने हेतु जीनोम डाटा माइनिंग” और एक डी.बी.टी. परियोजना “दुधारू और दविअर्थी देसी गायों हेतु नस्ल सिग्नेचर का विकास और पूर्ण जीनोम आधारित एसएनपी खनन” दो बाह्य वित्त पोषित परियोजनाएं हैं. दो एनएआईपी वित्त पोषित अनुसंधान परियोजनाये “कृषि पशुओं में टोल लाइक रिसेप्टर्स: विकासवादी प्रजातियां और रोग प्रतिरोध में प्रयोग” तथा “संभावित थन बायोमार्करों की पहचान के लिए देसी गायों और भैंसों में दुग्धकाल के दौरान जटिल थन ग्रंथि ट्रांस्क्रिप्टोम और प्रोटोम का विश्लेषण” को हाल ही में विभाग में सफलतापूर्वक पूरा किया।
संस्थान की परियोजनाओं के अतिरिक्त विभाग में एक राष्ट्रीय फेलो परियोजना “देसी गायों और भैंसों में विविध पर्यावरणों के प्रति अनुकूलता और ऊष्मा सहिष्णुता का आणविक आधार जानने हेतु जीनोम डाटा माइनिंग” और एक डी.बी.टी. परियोजना “दुधारू और दविअर्थी देसी गायों हेतु नस्ल सिग्नेचर का विकास और पूर्ण जीनोम आधारित एसएनपी खनन” दो बाह्य वित्त पोषित परियोजनाएं हैं. दो एनएआईपी वित्त पोषित अनुसंधान परियोजनाये “कृषि पशुओं में टोल लाइक रिसेप्टर्स: विकासवादी प्रजातियां और रोग प्रतिरोध में प्रयोग” तथा “संभावित थन बायोमार्करों की पहचान के लिए देसी गायों और भैंसों में दुग्धकाल के दौरान जटिल थन ग्रंथि ट्रांस्क्रिप्टोम और प्रोटोम का विश्लेषण” को हाल ही में विभाग में सफलतापूर्वक पूरा किया।